Tuesday, 14 October 2014

भारत की नदियां

नदिया

भारत की नदियां चार समूहों में वर्गीकृत की जा सकती हैं –

(1), हिमालय की नदियां
(2) प्रायद्वीपीय नदियां
(3)तटवर्ती नदियां और 
(4) अंतःस्थलीय प्रवाह क्षेत्र की नदियां।

हिमालय की नदियां बारहमासी है, जिन्हें पानी आमतौर पर बर्फ पिघलने से मिलता है। इनमें वर्षभर निर्बाध प्रवाहबना रहता है। मानसून के महीने में हिमालय पर भारी वर्षा होती है, जिससे नदियों में पानी बढ़ जाने के कारणअक्सर बाढ़ आ जाती है। दूसरी तरफ प्रायद्वीप की नदियों में सामान्यतः वर्षा का पानी रहता है, इसलिए पानी कीमात्रा घटती-बढ़ती रहती है। अधिकांश नदियां बारहमासी नहीं हैं। तटीय नदियां, विशेषकर पश्चिमी तट की, कम लंबीहैं और इनका जलग्रहण क्षेत्र सीमित है। इनमें से अधिकतर में एकाएक पानी भर जाता है। पश्चिमी राजस्थान मेंनदियां बहुत कम हैं। इनमें से अधिकतर थोड़े दिन ही बहती हैं।
सिंधु और गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना नदियों से हिमालय की मुख्य नदी प्रणालियां बनती हैं। सिंधु नदी विश्व की बड़ी नदियोंमें से एक है। तिब्बत में मानसरोवर के निकट इसका उद्गम स्थल है। यह भारत से होती हुई पाकिस्तान जाती है औरअंत में कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है। भारतीय क्षेत्र में बहने वाली इसकी प्रमुख सहायक नदियों मेंसतलुज (जिसका उद्गगम तिब्बत में होता है), व्यास, रावी,चेनाब और झेलम हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना अन्य महत्वपूर्णनदी प्रणाली है और भागीरथी और अलकनंदा जिसकी उप-नदी घाटियां हैं, इनके देवप्रयाग में आपस में मिल जाने सेगंगा उत्पन्न होती है। यह उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों से होती हुई बहती है। राजमहलपहाडियों के नीचे भागीरथी बहती है, जो कि पहले कभी मुख्यधारा में थी, जबकि पद्मा पूर्व की ओर बहती हुईबांग्लादेश में प्रवेश करती है। यमुना, रामगंगा, घाघरा, गंडक, कोसी, महानंदा और सोन नदियां गंगा की प्रमुखसहायक नदियां हैं। चंबल और बेतवा महत्वपूर्ण उपसहायक नदियां हैं जो गंगा से पहले यमुना में मिलती हैं। पद्माऔर ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश के अंदर मिलती हैं और पद्मा या गंगा के रूप में बहती रहती हैं। ब्रह्मपुत्र का उद्भव तिब्बत मेंहोता है जहां इसे ‘सांगपो’ के नाम से जाना जाता है और यह लंबी दूरी तय करके भारत में अरुणाचलप्रदेश में प्रवेशकरती है जहां इसे दिहांग नाम मिल जाता है। पासीघाट के निकट, दिबांग और लोहित ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती हैं,फिर यह नदी असम से होती हुई धुबरी के बाद बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है।
भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियों में सुबानसिरी, जिया भरेली, धनश्री, पुथीमारी, पगलादीया और मानस हैं।बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र में तीस्ता आदि नदियां मिलकर अंत में गंगा में मिल जाती हैं। मेघना की मुख्यधारा बराक नदीका उद्भव मणिपुर की पहाडियों में होता है। इसकी मुख्य सहायक नदियां मक्कू, त्रांग, तुईवई, जिरी, सोनाई, रुकनी,काटाखल, धनेश्वरी, लंगाचीनी, मदुवा और जटिंगा हैं। बराक बांग्लादेश में तब तक बहती रहती है जब तक कि भैरवबाजार के निकट गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी में इसका विलय नहीं हो जाता।
दक्कन क्षेत्र में प्रमुख नदी प्रणालियां बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती हैं। बहने वाली प्रमुख अंतिम नदियों मेंगोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी आदि हैं। नर्मदा और ताप्ती पश्चिम की ओर बहने वाली मुख्य नदियां हैं।
सबसे बड़ा थाला दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी का है। इसमें भारत के कुल क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत भाग शामिलहै। प्रायद्वीपीय भारत में दूसरा सबसे बड़ा थाला कृष्णा नदी का है और तीसरा बड़ा थाला महानदी का है। दक्षिण कीऊपरी भूमि में नर्मदा अरब सागर की ओर है और दक्षिण में कावेरी बंगाल की खाड़ी में गिरती है, इनके थाले बराबरविस्तार के हैं, यद्यपि उनकी विशेषताएं और आकार भिन्न-भिन्न हैं।
कई तटीय नदियां हैं जो तुलनात्मक रूप से छोटी हैं। ऐसी गिनी-चुनी नदियां पूर्वी तट के डेल्टा के निकट समुद्र मेंमिल जाती हैं जबकि पश्चिमी तट पर ऐसी करीब 600 नदियां हैं।
राजस्थान में कई नदियां समुद्र में नहीं मिलती। वे नमक की झीलों में मिलकर रेत में समा जाती हैं क्योंकि इनकासमुद्र की ओर कोई निकास नहीं है। इनके अलावा रेगिस्तानी नदियां लूनी तथा अन्य, माछू रूपेन, सरस्वती, बनांसतथा घग्घर हैं जो कुछ दूरी तक बहकर मरुस्थल में खो जाती हैं।
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सिंधु और गंगा-ब्रह्मपुत्र-

मेघना नदियों से हिमालय की मुख्य नदी प्रणालियां बनती हैं। सिंधु नदी विश्व की बड़ी नदियोंमें से एक है। तिब्बत में मानसरोवर के निकट इसका उद्गम स्थल है। यह भारत से होती हुई पाकिस्तान जाती है औरअंत में कराची के निकट अरब सागर में मिल जाती है। भारतीय क्षेत्र में बहने वाली इसकी प्रमुख सहायक नदियों मेंसतलुज (जिसका उद्गगम तिब्बत में होता है), व्यासरावीचेनाब और झेलम हैं।

गंगा-ब्रह्मपुत्र-मेघना अन्यमहत्वपूर्ण नदी प्रणाली है और भागीरथी और अलकनंदा जिसकी उप-नदी घाटियां हैंइनके देवप्रयाग में आपस मेंमिल जाने से गंगा उत्पन्न होती है। यह उत्तराखंडउत्तरप्रदेशबिहार और पश्चिम बंगाल राज्यों से होती हुई बहती है।राजमहल पहाडियों के नीचे भागीरथी बहती हैजो कि पहले कभी मुख्यधारा में थीजबकि पद्मा पूर्व की ओर बहतीहुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है। यमुनारामगंगाघाघरागंडककोसीमहानंदा और सोन नदियां गंगा की प्रमुखसहायक नदियां हैं। चंबल और बेतवा महत्वपूर्ण उपसहायक नदियां हैं जो गंगा से पहले यमुना में मिलती हैं। पद्माऔर ब्रह्मपुत्र बांग्लादेश के अंदर मिलती हैं और पद्मा या गंगा के रूप में बहती रहती हैं। ब्रह्मपुत्र का उद्भव तिब्बत मेंहोता है जहां इसे ‘सांगपो’ के नाम से जाना जाता है और यह लंबी दूरी तय करके भारत में अरुणाचलप्रदेश में प्रवेशकरती है जहां इसे दिहांग नाम मिल जाता है। पासीघाट के निकटदिबांग और लोहित ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती हैं,फिर यह नदी असम से होती हुई धुबरी के बाद बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है।
भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियों में सुबानसिरीजिया भरेलीधनश्रीपुथीमारीपगलादीया और मानस हैं।बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र में तीस्ता आदि नदियां मिलकर अंत में गंगा में मिल जाती हैं। मेघना की मुख्यधारा बराक नदीका उद्भव मणिपुर की पहाडियों में होता है। इसकी मुख्य सहायक नदियां मक्कूत्रांगतुईवईजिरीसोनाईरुकनी,काटाखलधनेश्वरीलंगाचीनीमदुवा और जटिंगा हैं। बराक बांग्लादेश में तब तक बहती रहती है जब तक कि भैरवबाजार के निकट गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी में इसका विलय नहीं हो जाता।
दक्कन क्षेत्र में प्रमुख नदी प्रणालियां बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती हैं। बहने वाली प्रमुख अंतिम नदियों मेंगोदावरीकृष्णाकावेरीमहानदी आदि हैं। नर्मदा और ताप्ती पश्चिम की ओर बहने वाली मुख्य नदियां हैं।
सबसे बड़ा थाला दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी का है। इसमें भारत के कुल क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत भाग शामिलहै। प्रायद्वीपीय भारत में दूसरा सबसे बड़ा थाला कृष्णा नदी का है और तीसरा बड़ा थाला महानदी का है। दक्षिण कीऊपरी भूमि में नर्मदा अरब सागर की ओर है और दक्षिण में कावेरी बंगाल की खाड़ी में गिरती हैइनके थाले बराबरविस्तार के हैंयद्यपि उनकी विशेषताएं और आकार भिन्न-भिन्न हैं।
कई तटीय नदियां हैं जो तुलनात्मक रूप से छोटी हैं। ऐसी गिनी-चुनी नदियां पूर्वी तट के डेल्टा के निकट समुद्र मेंमिल जाती हैं जबकि पश्चिमी तट पर ऐसी करीब 600 नदियां हैं।
राजस्थान में कई नदियां समुद्र में नहीं मिलती। वे नमक की झीलों में मिलकर रेत में समा जाती हैं क्योंकि इनकासमुद्र की ओर कोई निकास नहीं है। इनके अलावा रेगिस्तानी नदियां लूनी तथा अन्यमाछू रूपेनसरस्वतीबनांसतथा घग्घर हैं जो कुछ दूरी तक बहकर मरुस्थल में खो जाती हैं।

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